वेलिंगटन। अमेरिका से अलग इस समय कीवी देश न्यूजीलैंड में भी चुनाव का मौसम है। कोविड-19 महामारी के बीच ही प्रधानमंत्री जेसिंदा आरड्रेन एक बार फिर सत्ता में वापसी को तैयार हैं। आरड्रेन के सिर कोरोना वायरस महामारी से सख्ती से निपटकर इसे नियंत्रित करने का ताज सजा है। आरड्रेन, न्यूजीलैंड की दूसरी महिला प्रधानमंत्री हैं।
विपक्ष की सबसे बड़ी हार
अब तक न्यूजीलैंड में 10 प्रतिशत कुल वोटों की गिनती हो चुकी है। इस गिनती के बाद आरड्रेन की लेफ्ट लेबर पार्टी 49.9 प्रतिशत वोटों के साथ बढ़त बनाए हुए है। इसका मतलब यह हुआ कि 120 सदस्यों वाली न्यूजीलैंड की संसद में अब तक आरड्रेन की पार्टी को 64 सीटें मिल चुकी हैं। साल 1996 में जब से न्यूजीलैंड में अनुपातिक वोटिंग सिस्टम की शुरुआत हुई है और 24 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी राजनीतिक दल को इतना बड़ा बहुमत मिल रहा है। अभी तक वोटों की गिनती शुरुआती दौर में है और अगर यह इसी तरह से चलती रही तो फिर यह कई दशकों में लेबर पार्टी को मिली अब तक की सबसे बड़ी जीत होगी। दूसरी तरफ विपक्षी नेता जुडिथ कॉलिन की नेशनल पार्टी को अब तक 26 प्रतिशत वोट यानी 34 सीटों पर जीत मिली है। 20 सालों में यह पार्टी अपनी सबसे बड़ी हार की तरफ बढ़ रही है।
आरड्रेन ने कहा-ये ‘कोविड इलेक्शंस’
अगर आरड्रेन बहुमत हासिल करने में असफल रहती हैं तो सरकार में गठबंधन वाले दल ग्रीन्स उन्हें समर्थन देकर उनकी सरकार बनावा सकता है। इस पार्टी को अब तक 8.4 प्रतिशत वोट यानी 11 सीटें मिल चुकी हैं। आरड्रेन ने इन चुनावों को ‘कोविड इलेक्शंस’ नाम दिया है। साथ ही उन्होंने अपनी सरकार का प्रचार भी महामारी को खत्म करने और वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन रोकने में हासिल सफलताओं के आधार पर किया है। न्यूजीलैंड की आबादी 5 मिलियन यानी 50 लाख है और कोरोना की वजह से यहां पर बस 25 लोगों की मौत हुई है। कोविड के अलावा मार्च 2019 में क्राइस्ट चर्च में हुए आतंकी हमले के बाद जिस तरह आरड्रेन एक नेता के तौर पर सामने आई थीं, उसने भी उनकी लोकप्रियता को बढ़ाने में खासा योगदान दिया है। उस हमले में 51 लोगों की मौत हो गई थी।