जब मॉ बच्चे को जन्म देती है, बहुत कष्ट और पीड़ा से गुज़रती है। बच्चे का मुसकुराता चेहरा देख ,सब कष्ट भूल जाती है ,छोटे - छोटे हाथ पॉव से खेलना ,और उसको लाड़ लड़ाना , सब में वो व्यस्त हो जाती है। दिन महीने निकलते ,उसको घुटने के बल देख चलते,पेट के बल पर लेटना, और कमरे में गोल गोल घूमना,यह सब देख मॉ बाप का ह्रदय बाग़ -बाग़ हो जाना । छोटी-छोटी उगली पकड़ कर जब बाबा चलना सिखाते है,वही मॉ पौष्टिक आहार खिलाकर और शक्तिशाली बनाती है । अच्छी तालीम, अच्छे संस्कार देते है हर मॉ बाप,बच्चे उसको समझकर स्वीकारे तो ही है लाभ ।