चहनियां। वर्षों से चली आ रही परम्परा रामलीला का मंचन देर से ही सही लेकिन पूरे क्षेत्र में शुरू हो गया है। कोविड 19 के दौरान शासन द्वारा धार्मिक व सार्वजनिक आयोजनों पर लगी अनेक बन्दिशो और नियमों को ध्यान में रखते हुए मारूफपुर स्थित रामशाला परिसर में बुधवार को राम जन्मोत्सव की लीला का मंचन किया गया। जिसमें अयोध्या नरेश महाराज दशरथ द्वारा चौथेपन आने के बावजूद कोई सन्तान नही होने का दुख गुरू वशिष्ठ से व्यक्त किया गया। जिस पर गुरू वशिष्ठ ने महाराज दशरथ को समझाते हुए कहा कि श्रृंगी ऋ षि को बुलवाकर पुत्रेष्टि यज्ञ करवाईए। गुरू के आदेशानुसार महाराज ने यज्ञ कार्य शुरु कराया जिसमें अग्नि देव प्रकट होकर महाराज को हव्य देते हुए अपने रानियों में यथायोग्य बांटने को कहकर अन्तर्धान हो गये। अग्नि देव की आग्या अनुसार महाराज ने अपनी रानियों को हव्य दे दिया। लीला परम्परा अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोपहर के समय भये प्रकट कृपाला दीनदयाला कौशल्या महतारी पंक्ति का गायन होते ही अयोध्या नगरी रूपी रामलीला पंडाल ढोल नगाड़ों की मंगल ध्वनि पटाखो की चकाचौंध के साथ साथ जयकारो से गुंजायमान हो गया। तदुपरांत लीला प्रेमियों ने चारो भाईयों राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न की आरती उतारी। इस दौरान मुख्य रूप से जयशंकर मिश्र, नगेन्द्र मिश्र, मुन्ना सिंह, जटायु मिश्र, अमित मिश्र, सोनू मिश्रा, गौरव मिश्र, गोलू मिश्र, बचानू मिश्र, विक्की पांडेय, नीरज मिश्र सहित तमाम लीला प्रेमी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।