-आज समाचार सेवा-
भक्ति आराधना के महापर्व पर १७ अक्तूबर को शिव की नगरी काशी शक्ति की आराधना में लीन हो जायेगी। कोरोना काल के कारण मिनी बंगाल का तो नजारा नहीं दिखेगा। लेकिन दुर्गा सप्तशती के ओजस्वी महामंत्रों की अनुगूंज जरूर सुनायी पड़ेगी। मंदिरों घरों में मां के आगमन की तैयारी पूर्ण कर ली गयी। मान्यता है कि शारदीय नवरात्र में भगवती की पूजा करने से सुख सौभाग्य में तो वृद्घि होती है साथ्ज्ञ ही जीवन धन धान्य से परिपूर्ण रहता है। शरद ऋतु में दुर्गाजी की महापूजा से सभी प्रकार की बाधाओं की निकृति होती है। कुछ लोग नौ दिन उपवास रखकर मां को पूजते है तो कुछ कुछ लोग प्रथम और अष्टïमी का वृत करते है सर्व प्रथम कलश स्थापना होगा जिसका सर्वश्रेष्ठï शुभ मुहूर्त पूर्वाह्नï ११बजकर ३६ मिनट से मध्याह्नï १२ बजकर २४ मिनट तक है।