लंदन। फ्रांस और जर्मनी के बाद अब ब्रिटेन राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने का विचार कर रहा है। ब्रिटिश अखबार द टाइम्स की तरफ से बताया गया है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं और बुधवार को साल का दूसरा लॉकडाउन लागू हो सकता है। देश में एक बार फिर से कोविड-19 के मामलों में इजाफा हो रहा है। सरकार और अथॉरिटीज इसे लेकर खासी चिंतित हैं। अस्पतालों के बाहर भारी भीड़ देखी जा सकती है। इससे पहले फ्रांस और जर्मनी ने हाल ही में साल का दूसरा लॉकडाउन लागू कर दिया है।
सोमवार को सरकार कर सकती है ऐलान
द टाइम्स की तरफ से बताया गया है कि फ्रांस की तरह ही ब्रिटेन में भी एक दिसंबर तक नए प्रतिबंधों को लागू किया जा सकेगा। पीएम जॉनसन सोमवार को इस बाबत एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं और वह नए कदमों के बारे में ऐलान कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि नए प्रतिबंधों में सबकुछ बंद रहेगा लेकिन जरूरी सामान की दुकानें और शैक्षणिक संस्थाएं खुली रहेंगी। फिलहाल इस पर अभी सिर्फ चर्चा जारी है और कोई भी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। द टाइम्स ने सरकार के उच्च सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की तरफ से जब इस बारे में जानने की कोशिश की गई तो सरकार के अधिकारियों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। शुक्रवार को यूनाइटेड किंगडम में कोरोना वायरस 24,405 नए केसेज आए हैं और 274 लोगों की मौत हो गई है। पिछले हफ्ते की तुलना करें तो इस हफ्ते केसेज की संख्या में 20,000 का इजाफा हुआ है।
फिलहाल लागू हैं 3 टीयर के प्रतिबंध
शुक्रवार को वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 का संक्रमण देश में तेजी से बढ़ रहा है और इसे कम करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। वैज्ञानिकों की मानें तो अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर देश में 80,000 लोगों की जान जा सकती है। अभी इंग्लैंड के स्थानीय इलाकों में थ्री टीयर के प्रतिबंध लागू हैं। स्कॉटलैंड, वेल्स और नॉर्थ आयरलैंड ने महामारी ने निबटने के लिए अपनी खुद की नीतियां बनाई हैं। 3 टीयर के प्रतिबंधों में घरों में एक-दूसरे के साथ मिलने पर पाबंदी है। साथ ही पब्स और बार भी बंद कर दिए गए हैं। शादियों के समारोहों को मंजूरी नहीं दी गई है और इलाके से दूसरी जगह जाने और सफर करने पर भी बैन है। द टाइम्स के मुताबिक सरकार इस बार और सख्त उपायों के बारे में सोच रही है जिसे टीयर 4 के तौर पर जाना जाता है। लेकिन कई मंत्री राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने के पक्ष में नही हैं।