बुनकरके बेटेने नीटमें लहराया परचम

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-आज समाचार सेवा-

कहते है कि कोई कार्य केवल क्षमतासे ही नहीं पूरा होते उसके लिए दृढ़ संकल्प भी जरूरी है। इसी दृढ़ संकल्प की मिसाल बनकर उभरे उमर फारूक अंसारी ने नेशनल इलिजिब्लिटी कम इंटरेंस (नीट) क्वालिफाई कर चिकित्सक बननेके सपनोंको साकार किया है। उनकी आलइण्डिया जनरलमें २८३वां जबकि ओबीसी में ६५वां रैंक है। इन्होंने ७०० में ६९० अंक हासिल कर अपनी मेधाका लोहा मनवानेको विवश किया है। मूल रूपसे मऊ के खास बाजार निवासी और पेशेसे बुनकर और हकिम के रूपमें ख्याति अरशद अली अंसारीके पुत्र उमर फारुक अंसारी नीट की तैयारी जेआरएस ट्यूटोरियल्से की है। एक सफल-योरोलॉजिस्ट की चाह रखने वाले उमरको चिकित्सक बनने की प्रेरणा उनकी मां से मिला जिनकी बीमारी से मौत हो गयी थी। उमर उस समय की उम्र काफी छोटी थी और कक्षा नौ में पढ़ते थे। हाई स्कूलकी परीक्षा पास करनेके बादवे अपने सपनोंको आकार देने वाराणसी चले आये और बजरडीहामें अपने ननिहाल रहकर तैयारी में जुट गये। मार्ग दर्शनके लिए उन्होंने जेआरएस ट्यूटोरियल्सका चुनाव किया। जेआरएस भी उनकी मेधासे काफी प्रभावित हुआ और उन्हें ब्रिलियंट ३५ बैचमें रखकर तराशना शुरू किया। उमरने भी निराश नहीं किया और सफलता झण्डा गाड़ दिया। बताते चले ब्रिलियंट ३५ बैचके छात्रोंको संस्था नि:शुल्क सेवा प्रदान करता है। गरीबों को विशेष रूपसे चिकित्सकीय सेवा देनेके इच्छुक उमरका मानना है कि सफलताका कोई शार्ट-कट नहीं है। वे खुद खाने-सोने तथा दैनिक क्रियाकर्मसे बाकी समय अध्ययनमें ही व्यतीत करते है। इसको ही सफलताका राज मानते है। उन्होंने अपनी सफलतामें पिता, चाचा और जेआरएस परिवार के योगदानको महत्वपूर्ण मानते हैं।

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