यूपी में माफियाओं को मिलेगी राहत, हाई कोर्ट ने सूबे में अवैध निर्माणों को गिराने पर लगाई 30 दिन की रोक

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को अवैध भवनों के ध्वस्तीकरण मामले में सामान्य (जनरल) आदेश जारी किया है और आदेश का पालन करने के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव, सभी विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों, सभी जिलाधिकारियों को आदेश की प्रति भेजने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा है कि ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ 30 दिन में विधिक अपील दाखिल करने की अवधि तक कार्रवाई न की जाए. अपील पर अंतरिम अर्जी दो हफ्ते में तय की जाए. अर्जी तय न होने तक ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर रोक लगी रहेगी. ध्वस्तीकरण आदेश की प्रति मकान मालिक को दी जाए, उसकी आपत्ति सुनकर फैसला लिया जाए. ये आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता और न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने अब्बास अंसारी और जमशेद रजा की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि उसने 29 सितम्बर 2000 को जमीन का बैनामा कराया. 5 दिसम्बर को व्यावसायिक निर्माण का नक्शा पास कराने का आवेदन दिया. 31 दिसम्बर 2002 को कंपाउन्डिंग का अनुमोदन कर दिया गया. किन्तु बिना सुनवाई 15 सितम्बर 20 को अनुमोदन निरस्त कर दिया गया और 16 सितंबर 20 को ध्वस्तीकरण का कारण बताओ नोटिस दिया गया. 8 अक्टूबर को एक हफ्ते में ध्वस्तीकरण की कार्यवाई का आदेश जारी किया गया है, जिसे चुनौती दी गई थी.

याची का कहना है कि उसे अपील दाखिल करने का समय दिया दिया जाना चाहिए. तब तक कार्रवाई रोकी जाए. कोर्ट ने याची को ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ 10 दिन में अपील करने और उस पर दाखिल अंतरिम अर्जी दो हफ्ते में निर्णीत करने का निर्देश दिया है. अर्जी तय होने या चार हफ्ते जो जल्दी हो, ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर रोक लगा दी है और पूरे प्रदेश में ध्वस्तीकरण के खिलाफ कार्रवाई पर सामान्य समादेश जारी कर इस प्रकार के मामले में अमल करने का निर्देश दिया है.

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