जापान : फुफुशिमा के रेडियोधर्मी पानी को छोड़ने पर बवाल, खिलाड़ियों और कारोबारियों की चिंता बढ़ी

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जापान सरकार ने फुफुशिमा के रेडियोधर्मी पानी को समुद्र में छोड़ने का फैसला कर लिया है। जापान सरकार इसकी जल्द औपचारिक घोषणा कर सकती है। सरकार के इस फैसले से इलाके के कारोबारियों और खिलाड़ियों की चिंता बढ़ गई है। मार्च 2011 में आए भूकंप और सुनामी से फुफुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

इस घटना के बाद से जापान की बिजली कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी के पास दस लाख टन रेडियोधर्मी पानी इकट्ठा हो गया। देश के उद्योग मंत्री हिरोशी काजियामा का कहना है कि जापान सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है लेकिन जल्द फैसला ले सकती है। 
ओलंपिक खेलों के आयोजन की वजह से इस काम को जल्द करने पर जोर डाला जा रहा था ओलंपिक खेल इसी साल होने वाले थे लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इन्हें टालना पड़ा। अब ये खेल अगले साल खेले जाएंगे और इनमें से कुछ खेल ऐसे भी हैं जो फुफुशिमा से 60 किमी की दूरी पर ही खेले जाएंगे। इसलिए खिलाड़ी चिंतित हैं।

वहीं, मछुआरों का संघ भी सरकार के इस फैसले के खिलाफ है और सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर रहा है। इसके अलावा पड़ोसी देश भी नहीं चाहते कि समुद्र के रास्ते उन तक यह जहरीला पानी पहुंचे। बता दें कि जापान सरकार के सलाहकारों ने रेडियोधर्मी पानी को समुद्र में छोड़ने का प्रस्ताव दिया है।

हालांकि सरकार इसकी औपचारिक घोषणा करने से पहले मछुआरों से एक बार बात करना चाहती है मछुआरों की चिंताओं पर विचार करने के लिए एक पैनल के गठन की भी बात चल रही है। दुर्घटनाग्रस्त रिएक्टर को ठंडा करने के लिए पानी की जरूरत होती है। 

इसके अलावा भूजल भी ऊपर आ रहा है, जो रिएक्टर के निचले तलों में पहुंच जाता है। इस पानी को जमा करने के बाद फिल्टर करके रखा जाता है। फिलहाल ये सारा पानी संयंत्र के टैंकों में रखा गया है लेकिन हर दिन 170 टन पानी और जमा हो रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो 2022 तक और पानी रखने की जगह नहीं बचेगी।

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