जाले (दरभंगा)(आससे)। विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र जाले में चल रहे 15 दिवसीय उर्वरक अनुज्ञप्ति प्रशिक्षण के नौवें दिन शुक्रवार को एसटीसीआर परियोजना डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के मुख्य अन्वेषक डॉ. संजय कुमार सिंह ने प्रशिक्षण दिया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि विभिन्न उर्वरकों की उपयोग क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है, जिससे अधिकांश उर्वरक एवं पोषक तत्व पौधों को प्राप्त हो सके।
इस कड़ी में उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को मृदा परीक्षण की उपयोगिता, मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग मृदा में मौजूद पोषक तत्व का पौधों में उपलब्धता बढ़ाना आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा किया। उन्होंने बताया कि हमारे भूमि में पौधों के लिए आवश्यक अधिकांश पोषक तत्व मौजूद है, अपितु वह पौधों को प्राप्त नहीं है। विभिन्न पोषक तत्वों की सक्रियता मृदा में अलग-अलग होती है, जिन्हें पौधा विभिन्न स्वरूपों में ग्रहण करता है।
अतः मृदा में कार्बनिक तत्वों की विधि जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि एवं जल विचलन के द्वारा कई पोषक तत्वों की सक्रियता को बढ़ाया जा सकता है एवम साथ ही मृदा के स्वास्थ्य को भी अच्छा कर अच्छी उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है। ऐसा भी अनुसंधान में देखा गया है कि जब हम उपनिवेश से उर्वरक के द्वारा पोषक तत्व को देते हैं, उसमें से भी बहुत से पोषक तत्व पौधों को प्राप्त नहीं होते हैं। जिन्हें विभिन्न विधियों तकनीकों के द्वारा पौधों को उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता है, किसानों को जागरुक होने की एवम उन तक तकनीकी ज्ञान पहुंचाने की।