न्यायिक टीमके तीखे सवालोंसे सकपका गये पुलिस अफसर

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-आज समाचार सेवा-

कानपुर(एजेंसी)। चर्चित बिकरू कांड में शामिल दुर्दांत प्रवीण दुबे के एनकाउंटर की जांच को गुरुवार को इटावा पहुंची न्यायिक कमेटी के सवालों पर पुलिस अफसर सकपका गए। प्रवीण उर्फ बउआ ने ही मुठभेड़ में शहीद सीओ के पैर काटे थे। बिकरू कांड के आरोपित 50 हजार के इनामी प्रवीण दुबे को पुलिस ने 9 जुलाई की सुबह इटावा के विक्रमपुर गांव के पास एनकाउंटर में उस समय मार गिराया गया था जब वह महेवा बकेवर हाईवे से एक कार लूटकर भाग रहा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी न्यायिक कमेटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज बीएस चौहान, सदस्य हाईकोर्ट के जज एसके अग्रवाल, पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता गुरुवार को इस एनकाउंटर की जांच को इटावा पहुंचे। कमेटी के तीनों सदस्य पहले सीधे घटनास्थल पर गए। कमेटी के आने की सूचना पर स्थानीय अधिकारियों ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी। मुठभेड़ का पूरा सीन क्रिएट किया गया था। एक कार को पेड़ से टकराकर खड़ा किया गया था, किस स्थान पर हिस्ट्रीशीटर प्रवीण गोली लगने के बाद गिरा था, कहां पर उसका तमंचा पड़ा और कारतूस पड़े मिले थे, पूरा सीन फिर से दर्शाया गया था। कमेटी ने एसएसपी आकाश तोमर, एसपी सिटी डॉ रामयश सिंह, एसपी ग्रामीण ओमवीर सिंह, क्राइम ब्रांच प्रभारी सत्येंद्र यादव, तब के सिविल लाइन प्रभारी निरीक्षक मदन गोपाल गुप्ता से कई तीखे सवाल किए। अधिकारियों से पूछा कि उनको कैसे पता चला कि जिसको एनकाउंटर में मारा है, वह बिकरू कांड का आरोपित है। यह भी पूछा कि मुठभेड़ के दौरान कितनी गोली चलीं, अपराधी की गाड़ी पेड़ से कैसे टकराई, जिस एसयूवी से तीन अपराधी भाग निकले, उनके बारे में अब तक क्या पता चला। यह सवाल सुनकर पुलिस अधिकारी सकपका गए। किसी तरह जवाब देकर कमेटी को संतुष्ट करने का प्रयास किया। जांच कमेटी ने एनकाउंटर स्थल विक्रमपुर गांव के लोगों को बुलाकर भी पूछताछ की। इसके लिए बुधवार को गांव में मुनादी कराई गई थी, लेकिन जांच कमेटी के सामने गांव के केवल तीन लोग ही पहुंचे।
गांव के रहने वाले दुर्गेश ने बताया कि वह 9 जुलाई की सुबह टहलने निकला था, तभी तीन-चार गाड़ियां तेजी से आती दिखीं। उसने बताया कि आगे कोई युवक कार लेकर भाग रहा था और पीछे पुलिस की तीन गाड़ियां थीं। पुलिस वाले चिल्ला रहे थे पकड़ो-पकड़ो, मारो-मारो, इसके बाद युवक की कार पेड़ से टकरा गई। गांव के मनोज सिंह चौहान ने बताया कि घटनास्थल के पास में वह अपने खेत पर गया था, वहां एक कार पेड़ से टकराई खड़ी थी और कई पुलिस वाले उसके पास खड़े थे। गांव के जितेंद्र ने बताया कि उसने गोलियों की आवाज सुनी थी, पहले उसने बताया कि चार-पांच गोलियां चली थीं फिर फिर कहा कि आठ- नौ गोलियां चली होंगी। कमेटी के सदस्य करीब 45 मिनट तक घटनास्थल पर रुके। इस दौरान मुठभेड़ से जुड़े पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों और गांववालों से अलग-अलग पूछताछ की। पूछताछ की पूरी कार्रवाई अधिकारियों ने मोबाइल पर रिकॉर्ड भी किया। स्थानीय अफसरों ने सर्किट हाउस में कमेटी के ठहरने की व्यवस्था थी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और बताया उनको उज्जैन जाना है, इसके बाद उनकी गाड़ियां मध्य प्रदेश की ओर रवाना हो गईं। बिकरू कांड के मुख्य आरोपित विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से ही पकड़ा गया था।

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