राष्ट्रपति 25 नवम्बर को अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे-लोकसभा अध्यक्ष

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**EDS: TV GRAB** New Delhi: Speaker Om Birla conducts the proceedings in the Lok Sabha during the ongoing Budget Session of Parliament, in New Delhi, Thursday, Aug 01, 2019. (LSTV/PTI Photo)(PTI8_1_2019_000203B)

प्रधानमंत्री 26 नवम्बर को समापन समारोह में प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे
सम्मेलन का विषय है सशक्त लोकतंत्र हेतु विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का आदर्श समन्वय

-आज समाचार सेवा-
नई दिल्ली, 21 नवंबर। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन 25 और 26 नवंबर को गुजरात के केवडिया में आयोजित किया जायेगा। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ केवडिया में स्थित है । यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है जिसका उद्घाटन 31 अक्टूबर 2018 को माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
आज संसद भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए बिरला ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 नवंबर को सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके समापन सत्र को संबोधित करेंगे।उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी एवं अन्य गणमान्य विशिष्टजन भी इस सम्मेलन में शामिल होंगे ।
बिरला ने बताया कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की शुरुआत सन 1921 में हुई थी और तब से ही इस सम्मेलन के माध्यम से लोकतान्त्रिक प्रणाली को मजबूत करने तथा भारत के विधानमंडलों में एकता और अखंडता की भावना को बढ़ावा देने के अनवरत प्रयास किए जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि यह वर्ष इस सम्मेलन का शताब्दी वर्ष है। 14-15 सितंबर 2020 से 14-15 सितंबर 2021 को शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस सम्मेलन से भारत में सभी पीठासीन अधिकारियों को नए विचारों और अनुभवों को साझा करने के लिए एक मंच मिलता है। बिरला ने बताया कि हमारे सम्माननीय विधिनिर्माताओं के सामूहिक प्रयासों से बदलते समय के साथ विधानमंडलों में भी बदलाव लाने में मदद मिली है। इन सम्मेलनों के सत्रों के दौरान हुए विचार विमर्श के फलस्वरूप संसदीय लोकतंत्र में नई प्रथाओं की शुरुआत हुई है ।
बिरला ने बताया कि कि 26 नवंबर को देश भर में संविधान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि सन 1949 में इसी दिन भारत के संविधान को अंगीकृत किया गया था। इस वर्ष, हमारे देश में संविधान को अंगीकृत किए जाने का 71वां वर्ष मनाया जा रहा है। इसलिए संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए समर्पित इस सम्मेलन का आयोजन भी इसी दिन किया जा रहा है। इस वर्ष के सम्मेलन का विषय है ‘सशक्त लोकतंत्र हेतु विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का आदर्श समन्वय’।
बिरला ने बताया कि इस सम्मेलन के दौरान, विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी लोकतंत्र के तीन स्तंभों के बीच बेहतर सहयोग और समन्वय की आवश्यकता पर चर्चा करेंगे। यह हमारे संवैधानिक दायित्वों का ही हिस्सा है । हमारी संवैधानिक व्यवस्था में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र और उनके बीच संतुलन रखने हेतु प्रावधान स्पष्ट रूप से दिए गए हैं। संवैधानिक संतुलन बनाये रखना हमारा सामूहिक दायित्व है तथा शासन प्रणाली के तीनों अंगों के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखने और देश में लोकतंत्र के विकास के लिए यह आवश्यक भी है। उन्होंने बताया कि संविधान दिवस के अवसर पर, इस सम्मेलन में सभी प्रतिनिधि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के संविधान में दी गई प्रस्तावना को पढ़ेंगे। 26 नवम्बर 2020 को आयोजित किए जा रहे समापन समारोह में एक संकल्प पारित किया जाएगा।
सम्मेलन के दौरान संविधान दिवस पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी। गत वर्ष 2019 में, इस सम्मेलन का आयोजन माननीय लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला के नेतृत्व में उत्तराखंड के देहरादून में किया गया था। उस सम्मेलन के दौरान शून्य काल और अन्य संसदीय साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने, क्षमता निर्माण और संविधान की दसवीं अनुसूची तथा पीठासीन अधिकारियों की भूमिका से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई थी। केवडिया में कांफ्रेंस की तीन समितियों की रिपोर्टों पर भी विचार किया जाएगा।
(समाप्त…/)

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