पटना: कितना हुआ दाखिला, शिक्षा विभाग ने लिया जायजा

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  • शत-प्रतिशत बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करने का निर्देश
  • रिपोर्ट दुरुस्त करने की जिला शिक्षा पदाधिकारियों को हिदायत

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य के सरकारी स्कूलों में कितने बच्चों का दाखिला हुआ, इसका जायजा शिक्षा विभाग ने लिया है। खासकर इस बात का जायजा लिया गया कि 5वीं कक्षा से प्रोन्नत शतप्रतिशत बच्चों का 6ठी कक्षा में दाखिला हुआ या नहीं?

शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बुधवार को जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये इस बात की समीक्षा की कि बारह दिनों तक चले विशेष नामांकन अभियान के तहत कितने बच्चों के दाखिले हुए। उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को शतप्रतिशत बच्चों का नामांकन हर हाल में सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। 

प्रधान सचिव द्वारा वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये ली गयी जिला शिक्षा पदाधिकारियों की बैठक में उन जिलों पर खास तौर पर फोकस किया गया, जहां से नामांकन अभियान के तहत हुए दाखिलों पर रिपोर्ट नहीं आयी थी। ऐसे चार जिले हैं। हालांकि, शाम तक इन चारों जिलों की रिपोर्ट भी शिक्षा विभाग को मिल गयी। बाकी जिलों को तीन दिनों का समय इस बात के लिए दिया गया है कि अगर रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी हो, तो दुरुस्त कर लें।    

आपको बता दूं कि शिक्षा विभाग ने अपनी समीक्षा में पाया था कि कोरोना काल में राज्य में तकरीबन छह लाख स्कूली छात्र-छात्राओं ने अगली कक्षा में दाखिला नहीं लिया है। ऐसे सभी बच्चे 5वीं कक्षा से प्रोन्नत पाये गये थे। प्रोन्नत होने के बावजूद ऐसे बच्चे 6ठी कक्षा में नामांकित नहीं पाये गये। इन छह लाख बच्चों के ड्रॉपआउट को रोकने के लिए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार के निर्देश पर एक अक्तूबर से 12 अक्तूबर तक बारह दिनों का विशेष नामांकन अभियान चला।

इसके तहत संकुल स्तर पर उपलब्ध प्राथमिक विद्यालयों में 5वीं कक्षा से प्रोन्नत छात्र-छात्राओं का आकलन कर छात्रों की सुविधानुसार उस क्षेत्र में अवस्थित मध्य विद्यालयों में नामांकन हेतु टैगिंग करने के निर्देश दिये गये थे। अभियान में अनामांकित एवं बीच में पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों की पहचान कर उनके नामांकन उनके घर जाकर किया जाना था। आपको बता दूं कि इसके पहले अनामांकित एवं बीच में पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों की पहचान कर उनके उम्र सापेक्ष कक्षा में नामांकन के लिए गत एक जुलाई से 15 जुलाई तक नामांकन पखवाड़ा चलाया गया था।

नामांकन पखवाड़े में नामांकित बच्चों से जुड़े आंकड़े हर जिले में जिला स्तर पर जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा समेकित  कर रिपोर्ट राज्य कार्यालय को सौंपी जानी थी। बावजूद, रिपोर्ट राज्य कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराये जाने पर शिक्षा विभाग द्वारा नाराजगी जतायी गयी। इसके मद्देनजर अनामांकित एवं छीजित (ड्रॉपआउट) बच्चों की पहचान एवं उन चिन्हित बच्चों के उम्र के सापेक्ष कक्षा में नामांकन के लिए एक अक्तूबर से 12 अक्तूबर तक पुन: सघन अभियान चलाने का निर्देश विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने दिया था।

अभियान के तहत हर स्कूल के पोषक क्षेत्र के सभी टोले-बसावट में घर-घर सर्वेक्षण किये जाने थे। सर्वेक्षण का कार्य शिक्षकों एवं शिक्षा सेवकों द्वारा किये जाने थे। हर स्कूल के प्रधान शिक्षक द्वारा एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर पहली कक्षा में अनामांकित एवं छीजित चीन्हित बच्चों का नामांकन उनके घर जाकर किया जाना था। नामांकन अभियान की मॉनीटरिंग के लिए राज्य स्तर पर मॉनीटरिंग सेल भी है, जिसके प्रभारी सहायक निदेशक योगेश कुमार हैं।  

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