अस्ताचलगामी सूर्यको व्रतियोंने दिया अर्घ्य

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-आज समाचार सेवा-

छठ पर्व की छटा शुक्रवार को देखते बन रही थी। निराजल व्रतियों का उत्साह, परिवार के लोगों का उल्लास और ढोल-नगाड़ों के साथ छठ देवी के गीतों की गूंज से सब भक्ति से सराबोर हो गया। महामारी पर आस्था भारी रही और व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर उनसे सुख-समृद्घि की कामना की। इस दौरान घाटों, सरोवरों, तालाबों और कुंडों पर भीड़ उमड़ी हुई थी और अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने एक-दूसरे की मांग भरी। सतरंगी छटा आतिशबाजी के कारण छा गई। दूरदराज से आये लोग घाटों पर रहे तो घरों में भी व्रतियों ने आसपास की महिलाओं के साथ पूरी रात जागरण किया। उदीयमान भास्कर की प्रतीक्षा में सुबह कब हो गई, पता ही नहीं चला।
महापर्व की रंगत सुबह से ही बनी हुई थी। प्रसाद बनाने के लिये घरों में अलग रसोई की व्यवस्था की गई थी और देसी घी, आटा, गुड़ से ठेकुआ बनाया गया। इसकी खुशबू से पूरा घर गमक उठा। व्रतियों के लिये भी अलग कमरा बनाया गया और पूरी रात वह फर्श पर कंबल पर ही बैठकर छठ देवी की कथा सुनती-सुनाती रही। शुक्रवार सुबह से शाम तक प्रसाद बनाने और सूप में इसे सजाने के लिये फल आदी जुटाये गये। गन्ने से मंडप बनाकर वेदियों पर लगाया गया और शाम की प्रतीक्षा में महिलाओं ने दिन बिताया। दूसरे प्रहर होने के साथ ही लोगों का रुख घाटों की ओर हुआ तो देखते-देखते आस्था का रेला उमड़ पड़ा। हालांकि मास्क, दो गज की दूरी का पालन करने की भी कोशिश की गई। कुछ व्रती के परिजन सिनेटाइजर आदी साथ लेकर गये थे और बचाव पर भी ध्यान दिया। गलियों से लेकर घाटों तक जाने का दौर तीन बजे से चार बजे तक घाट, सरोवर, कुंड और तालाब सभी पट गये। शहर से लेकर गांव तक छट की छटा बिखर गई। आस्था के रंग में सभी रंगे नजर आये। उत्साह और उमंग परवान पर था। इस बीच भगवान भास्कर अस्त होने को हुए तो अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हुआ। प्रसाद चढ़ाकर दउरी में रख दिया गया। इसके बाद घर की महिलाओं और पति से आशीर्वाद लिया। रात तक यह सिलसिला जारी रहा और पूरी रात घर में सभी सदस्य सूर्य की प्रतीक्षा में रहे। इससे पहले दिन में फल, पूजन सामग्री के खरीदने की होड़ लगी हुई थी और बाजार पटे हुए थे। इस बीच रामनगर में भी सायंकाल गंगा तट पर छठ पूजा के लिए उमड़ने वाले जनसैलाब की आस्था भारी पड़ी। व्रती महिलाओं ने गंगा किनारे पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया। घाट पर पालिका प्रशासन की ओर से प्रकाश आदि की व्यवस्था कराने के साथ ही विद्युत झालरों की सजावट और सूचना प्रसारित करने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों को लगाया गया था। लोहता में भीभगवान भाष्कर के महापर्व छठ पर श्रद्धा और तप का निराजल व्रत रखी लाखों व्रतियों ने दोपहर बाद गाजे-बाजे के साथ लोहता स्थित भ_ी गांव में शांति सरोवर और भरथरा तालाब के साथ पिसौर नदी पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान सुरक्षा की दृष्टि से लोहता पुलिस तालाबो पर मौजूद रही। सेवापुरी में शाम को रामेश्वर वरुणा घाट पर सैकड़ों महिलाओं ने नदी के पानी मे खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। पूजा सामग्री को सूप में रखकर वरुणा तट की ओर दोपहर से ही जाने वालों का क्रम लगा हुआ था। क्षेत्र के रामेश्वर, रसूलपुर, कोइरीपुर, बरेमा, परसीपुर, जगापट्टी सहित अन्य क्षेत्र में व्रतियों ने अस्ताचलागामी सूर्य को अर्घ्य दिया।

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