-आज समाचार सेवा-
चेतावनी सप्ताहके अन्तिम दिन डीएलडब्ल्यू मजदूर संघ सरकारपर जमकर हमला किया। कहा मौजूदा केन्द्र सरकार देशमें एक भी उद्योग स्थापित करनेमें नाकाम रही। इसके उलट स्थापित उद्योगों और उपक्रमोंको ही समाप्त करने षडयंत्रमें जुट गयी। संघने चेताया कि यदि सरकार मजदूर विरोधी नीतियोंका वापस नहीं लेती तो वे सड़कपर उतर कर बड़ा आन्दोलन करनेको बाध्य होंगे। भारतीय मजदूर संघके आह्वïानपर चले इस चेतावनी सप्ताहके अन्तिम दिन शुक्रवारको डीरेका परिसर स्थित गुमटी मार्केटमें आम सभाका आयोजन किया गया। सभाको सम्बोधित करते हुए संघके कार्यवाहक अध्यक्ष राधावल्लभ त्रिपाठीने कहाकि सरकारी उद्योगोंको निजी हाथोंमें सौंपनेकी सरकार की नीति न तो देश हितमें है और न ही आमजन के हितमें है। इससे देशमें बेरोजगारी भी बढ़ेगी। डीरेका कर्मचारी परिषद सदस्य वीडी दुबेने कहाकि भारत सरकारका ट्रेनोंको निजी क्षेत्रमें देनेका फैसला आम आदमीपर आर्थिक बोझ बढ़ानेका उपक्रम ही कहा जा सकता है। जिला मंत्री राकेश पाण्डेयने कहाकि सरकार को रोजगार सृजन की नीति बनानी चाहिए मगर वह स्थापित उद्योगको समाप्त कर बेरोजगारी बढ़ानेके कार्योंमें ही लिप्त है। अन्य वक्ताओंने रेलके निगमीकरण, निजीकरणके प्रस्तावको वापस लेने, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने, मजदूर विरोधी श्रम कानूनको वापस करने, बोनस देने तथा एक्ट अप्रेन्टिसोंके समायोजनकी मांग की। सभामें मौजूद संघके पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओंने एकसुरमें कहा यदि डीरेकाका निगमीकरण किया गया तो सरकारको इसके गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे। संचालन महामंत्री कृष्णमोहन तिवारी एवं अध्यक्षता संघटन मंत्री के.सी. पाण्डेयने की। सभामें सर्वश्री देवतानंद, राकेश कुमार, कर्मचारी परिषद सदस्य प्रदीप कुमार यादव, सुशील सिंह, राजेन्द्र पाल, रोहित शर्मा, अश्वनी यादव, श्याम मोहन उपाध्यक्ष, राहुल पांडेय, राम सिंह, गौरव श्रीवास्तव, अखिलेश कुमार सिंह, सुकेश सिन्हा, अमित सिंह, आशुतोष श्रीवास्तव, संदीप आर्य, रंग बहादुर यादव, विनोद कुमार सिंह, अश्वनी सिंह, पवन कुमार राय, दीपेश, प्रमोद कुमार राय, जय प्रकाश, सुरेश सिन्हा, अरविंद, अखिलेश राय, धीरेंद्र सिंह, अनुराग, अक्षय, सुमीत अग्रहरी आदि लोग उपस्थित रहे।