न्यूयॉर्क (एजेंसी)। दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन बनाने की कोशिशें चल रही है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इस समय कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में जुटे हुए हैं।
इस बीच अमेरिकी कंपनी माडर्ना की कोरोना वैक्सीन, चूहों पर परीक्षण में सफल साबित हुई है। अमेरिकी फार्मास्युटिकल कंपनी मॉडर्ना की संभावित कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में चूहों पर हुए टेस्ट में यह पाया गया कि यह चूहों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाती है। ‘नेचर’ जर्नल में प्रकाशित निष्कर्ष बताते हैं कि जांच योग्य वैक्सीन से प्रेरित चूहों में न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडीज, जब 1-माइक्रोग्राम (एमसीजी) की दो इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन के रूप में दिये गये। अतिरिक्त प्रयोगों में चूहों को एमसीजी की खुराक के दो इंजेक्शन दिए गए थे। इसके द्वारा कोरोना वायरस से लडऩे की क्षमता चूहों में देखी गयी।
शोध में पाया गया है कि चूहों में संभावित कोरोना वैक्सीन की एक खुराक या एमआरएनए .1273 के 10 मिलीग्राम की खुराक लेने के बाद सात हफ्तों तक कोरोना के खिलाफ प्रतिरक्षा शक्ति बनी रही। यह वैक्सीन चूहों में फेफड़ों में वायरल प्रतिकृति के खिलाफ संरक्षित थी। एनआईएआईडी वैक्सीन रिसर्च सेंटर (वीआरसी) के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की सतह पर स्पाइक प्रोटीन की परमाणु संरचना की पहचान करने के लिए ऑस्टिन के टेक्सास विश्वविद्यालय के जांचकर्ताओं के साथ काम किया। शोधकर्ताओं द्वारा वैक्सीन उम्मीदवार के विकास में आधुनिक संरचना द्वारा इस संरचना का उपयोग किया गया था।
नवीनतम अध्ययन में पाया गया है कि जांच के टीके ने चूहों में मजबूत सीडी 8 टी-सेल विकसित किए। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह उस प्रकार की सेलुलर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित नहीं करता है जो वैक्सीन से जुड़े श्वसन रोग से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि यह दुर्लभ, एलर्जी-प्रकार की सूजन 1960 के दशक में एक पूरे निष्क्रिय श्वसन सिंक्रोसियल वायरस (आरएसवी) वैक्सीन के साथ टीका लगाये गये व्यक्तियों में देखी गयी थी। शोधकर्ताओं ने बताया कि वायरस तब हो सकता है जब एक टीका प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करता है जो संक्रमण से बचाने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं है।