चीन-भारत के बीच लद्दाख में घटा तनाव

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गलवान घाटी में पीछे हटे चीनी सैनिक
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच हुई बातचीत के बाद टूटा गतिरोध
-आज समाचार सेवा-
नई दिल्ली, 6 जुलाई। भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच हुई बातचीत के बाद आज चीनी सेना कुछ किलोमीटर पीछे हट गई है। यह पिछले 48 घंटों में हुई गहन कूटनीतिक, सैन्य बातचीत और संपर्कों का भी परिणाम है।
विदेश मंत्रालय ने आज एक बयान में बताया कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने रविवार को टेलीफोन पर चीनी विदेश मंत्री और राज्य के काउंसलर वांग यी के साथ बातचीत की। उल्लेखनीय है कि दोनों आधिकारी भारत-चीन के बीच सीमा मसले के शांतिपूर्ण समाधान के उद्देश्य से बने तंत्र के विशेष प्रतिनिधि भी हैं।
मंत्रालय ने बताया कि दोनों के बीच बातचीत सौहार्दपूर्ण, स्पष्ट, गहन और दूरंदेशी तरीके से हुई। बातचीत पश्चिमी क्षेत्र में भारत-चीन सीमा के वर्तमान हालत पर केंद्रित रही। डोभाल और वांग यी के बीच सहमति बनी कि स्थिरता और शांति की पूर्ण और स्थायी बहाली और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एक साथ काम करने करने की जरूरत है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढाने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने मतभेदों को विवाद न बनने दें। इसलिये दोनों के बीच तय हुआ कि वास्तविक नियंत्रण रेख से सैनिकों को जल्द से जल्द पूरी तरह दूर हटाया जाये। बातचीत के बाद आज चीनी सेना कुछ किलोमीटर पीछे हट गई है। इसे पिछले 48 घंटों में भारत-चीन के बीच हुई गहन कूटनीतिक, सैन्य बातचीत और संपर्कों का भी परिणाम माना जा रहा है।
विदेश मंत्रालय ने बयान में आगे बताया कि डोभाल और वांग यी इस बात पर भी सहमत हुए कि दोनों पक्ष कदम-दर-कदम तनाव समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे और इस बात को दोहराया कि दोनों पक्ष कड़ाई से वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करेंगे तथा ऐसा कोई भी एकतरफा निर्णय नहीं लेंगे जिससे कि यथास्थित में बदलाव आये। यह भी तय हुआ कि सीमा पर शांति एवं स्थिरता को बिगाड़ने वाली किसी भी भावी घटना को रोकने के लिये मिलकर काम करेंगे।
मंत्रालय ने बताया कि विशेष प्रतिनिधियों के बीच यह सहमति भी बनी है कि दोनों देशों के राजनयिक एवं सैन्य प्रतिनिधि आपस में बातचीत को जारी रखेंगे, जिसमें सीमा विवाद के समाधान के लिये पहले से गठित तंत्र भी शामिल है। यह भी तय हुआ कि इस बातचीत में बनी समझदारी एवं परिणामों को समयबद्ध तरीके जमीनी स्तर पर लागू भी किया जायेगा। यह भी तय हुआ कि सीमा पर शांति एवं स्थिरता को बरकरार रखने के लिये दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि भी आपसी बातचीत को आगे जारी रखेंगे।
गौरतलब है कि इससे पहले रविवार को खबर आई थी कि सीमा पर आठ हफ्तों से जारी गतिरोध के बीच नई दिल्ली सीमा वार्ता पर विशेष प्रतिनिधि (एसआर) तंत्र को सक्रिय करने पर विचार कर रहा है। इसमें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल अपने चीनी समकक्ष चीन के स्टेट काउंसिलर और विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत करेंगे। जिसका एकमात्र उद्देश्य स्थिति को सामान्य करना होगा।
वहीं चीन के पूर्वी लद्दाख में कुछ प्वाइंट पर पीछे हटने के संकेत पांच दिन पहले हुई कॉर्प्स-कमांडर स्तर की वार्ता में मिल गए थे। जब दोनों देशों की सेनाएं चरणबद्ध तरीके से पीछे हटने के लिए तैयार हुई थीं। इसके तहत, दोनों पक्षों को मैनपावर और संरचनाओं को वापस लेना था और पांच जुलाई को इसका एक सत्यापन किया जाना था। मिली जानकारी के मुताबिक, सेना की टीमें कुछ प्वाइंट्स पर सत्यापन करने के लिए गईं, जहां सेनाओं के बीच गतिरोध जारी है।
चीनी सेना के पीछे हटने का एक कारण गलवान नदी के बढ़ते जलस्तर को भी माना जा रहा है। बर्फ से ढकी गलवान नदी जो अक्साई चिन क्षेत्र से निकलती है उसका जल स्तर तापमान में बढ़ोतरी के कारण बढ़ रहा है। तीव्र गति से बर्फ पिघलने की वजह से नदी तट पर कोई भी स्थिति खतरनाक हो सकती है। इसके कारण चीनी टेंट बाढ़ में डूब भी सकते हैं।
(समाप्त…)

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