-आज समाचार सेवा-
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर। उच्चतम न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि नशीले पदार्थों से जुड़े एनडीपीएस ऐक्ट के तहत किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष आरोपी के बयान को सबूत नहीं माना जा सकता है। ऐसे बयान को अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिये आधार नहीं बनाया जा सकता है।
उच्चतम न्यायालय के तीन जजों की खंडपीठ ने बहुमत से दिये गये अपने फैसले में कहा कि एनडीपीएस कानून की धारा 53 के तहत एक पुलिस अधिकारी को दिया गया इकबालिया बयान एक सबूत के रूप में स्वीकार्य बयान नहीं माना जायेगा। इस कानून के तहत अपराध के लिए एक अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिये इसे आधार नहीं बनाया जा सकता। खंडपीठ ने 2-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है।
उल्लेखनीय है कि यह फैसला ऐसे समय पर आया है, जब नशीले पदार्थों के सेवन और तस्करी को लेकर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) मुंबई, बेंगलुरु और अन्य शहरों में लगातार ड्रग पेडलर पर शिकंजा कस रही है। मुंबई में इसको लेकर कई फिल्मी सितारों से भी पूछताछ की जा चुकी है। एनसीबी ने बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले में ड्रग्स कनेक्शन की जांच शुरू की थी।
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