धान बेचने को दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर किसान

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सरसौल (कानपुर) कहने के लिए किसानों के धान की खरीदारी के लिए सर्मथन मूल्य पर सरसौल ब्लॉक में करीब पांच क्रय केन्द्र खुले है लेकिन खरीदारी सिर्फ हाट केन्द्र सुभौली में शुरू हुई है वह भी इतनी धीमी गति से कि आज जो किसान कागज लेकर पहुँचा उसे दो माह बाद का टोकन मिला । ग्राम प्रधान तिरमा किसानों के साथ धान खरीदने के लिए हाट केन्द्र प्रभारी से मिले इनके गांव में ही करीब छः हजार कुन्तल धान की पैदावार हुई है लेकिन अब बेचने का संकट है । शासन व प्रशासन के रवैया से किसान हताश व परेशान है । वही हाट केन्द्र प्रभारी सुषमा द्विवेदी ने बताया कि एक दिन में तीन यह चार किसानो से खरीद हो पाती है जब यह धान मिल को चला जाता है तब आगे की खरीद होती पूरा धान खुले में रखने की मजबूरी है । इसे किसान की मजबूरी कहा जाय यह फिर मजाक कि हाड़ तोड़ कर किसान फसल को उपज कर लेता है लेकिन जब बेचने का नम्बर आता है तो अव्यवस्थाओ की भेंट चढ़ जाता है कहने के लिए सर्मथन मूल्य पर सरसौल ब्लॉक में भदासा जमदा करबिगवां शीशूपुर व सुभौली हाट केन्द्र में धान क्रय केन्द्र खुले है लेकिन खरीदारी सिर्फ हाट केन्द्र सुभौली में शुरू हुई और यहां पर भी खरीदारी कछुआ चाल में चल रही है और जब कुछ किसान सुभौली पहुंचे तो उन्हें दो माह बाद का टोकन मिला अब गेहूं बुवाई के लिए किसानों का खाद बीज अभी जरूरत है और धान की खरीदारी होगी दो माह बाद फिर पैसा कब आयेगा यह भी पता नही । धान न खरीदारी हो पाने से निराश तिरमा के ग्राम प्रधान दया निधान तिवारी ने किसानों के साथ सुभौली हाट केन्द्र पहुंचे और धान की खरीदारी की बात किया हाट केन्द्र प्रभारी ने सुषमा द्विवेदी दो माह बाद का टोकन जारी किया वह भी एक बार में सिर्फ़ पचास कुन्तल की खरीदारी होगी वही ग्राम प्रधान दया निधान तिवारी ने बताया कि सिर्फ हमारे गांव में करीब छः हजार कुन्तल धान की पैदावार हुई है और आसपास गांवो को मिला दो तो पन्द्रह हज़ार कुन्तल पार कर जायेगी लेकिन जहाँ धान की खेती होती है वहा दस किमी तक कही नही धान क्रय केन्द्र खोला गया सिर्फ किसानों के साथ छलावा किया जा रहा जिस तरह से खरीदारी होगी तो किसान कैसे क्रय केन्द्रो पर धान बेच पायेगा । वही किसानो को दो माह का टोकन देने के बारे में हाट केन्द्र प्रभारी सुषमा द्विवेदी ने बताया कि धान क्रय केन्द्र तो खुल गया है और जो खरीदारी हो रही है उसे खुले आसमान के नीचे ही रखना है एक दिन में तीन यह चार किसानो से खरीद हो पाती जिससे यह दिक्कत आ रही है । कहने को सभी अपना पल्ला झाड़ लिया लेकिन मरना तो किसान को है सिर्फ भाषणबाजी में किसानो का धान खरीदा जा रहा है धरातल पर स्थितियां कितनी गंभीर है ।

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