कुछ अज्ञात लोगों व संगठनों ने फैलाई 230 लोगों के धर्मांतरण की फैलाई अफवाह
राज्य के विकास को पटरी से उतारने और सौहार्द बिगाड़ने को रची गई थी यह साजिश
गाजियाबाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके शुरू की जांच
-आज समाचार सेवा-
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश को विकास की पटरी से उतारने और सांप्रदायिक दंगों की आग में झोंकने की एक और बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ है। मामला राष्ट्रीय राजधानी के गाजियाबाद का है। योगी सरकार को अस्थिर करने वाली ताकतों ने धर्मांतरण की अफवाह फैलाकर दो समुदायों के बीच संघर्ष की साजिश को अंजाम देने का प्रयास किया था।
इस साजिश के जरिये षडयंत्रकारियों का लक्ष्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करने और प्रदेश के सौहार्दपूर्ण माहौल में जहर घोलने का था। समय रहते गाजियाबाद पुलिस ने पूरे मामले का खुलासा कर साजिशकर्ताओं के मंसूबों पर पानी फेर दिया। गाजियाबाद पुलिस ने मोन्टू वाल्मीकि की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
दर्ज एफआईआर के मुताबिक 21 अक्टूबर को साहिबाबाद थाने के गांव करेहडा में कुछ अज्ञात लोगों ने 230 लोगों के धर्मांतरण की झूठी अफवाह फैलाई। शुरुआती जांच में पता चला है कि इससे संबंधित प्रमाणपत्र पूरी तरह से फर्जी और साजिशन तैयार किए गए हैं। इन दस्तावेजों में कोई नाम, पता, तिथि और जारी करने वाले का नाम भी नहीं है। दस्तावेजों पर कोई पंजीकरण संख्या भी दर्ज नहीं है।
पुलिस के मुताबिक ये कागजात पूरी तरह से फर्जी हैं । लोगों के बीच लाभकारी योजनाओं के फार्म बताकर कागजों को बांटा गया। पुलिस के अनुसार इस पूरे मामले के पीछे प्रदेश में जातीय और धार्मिक दंगे कराने की साजिश रची गई है। जांच में जुटे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि साजिशकर्ताओं ने ऐसे भोले-भाले लोगों को निशाना बनाया जो पढ़े लिखे नहीं थे। षडयंत्रकारी एनसीआर में इस कोशिश के जरिये पूरे प्रदेश में दो समुदायों के बीच संघर्ष कराने की साजिश को अंजाम तक पहुंचाने में जुटे थे।
पुलिस का कहना है कि बहुत जल्द साजिशकर्ताओं को बेनकाब कर जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि इस से पहले हाथरस और मथुरा में जातीय संघर्ष की साजिश रच कर योगी सरकार को बदनाम करने का कुचक्र रचा गया था। इनकी जांच भी एसटीएफ और पुलिस की टीमें कर रही हैं।
(समाप्त…/