हम ज्यादातर एक बार पेन (Pen) यूज करके उसे फिर से इस्तेमाल नहीं करते। कई बार रिफिल लाने के झंझट के चलते हम नया पैन लाना ही बेहतर समझते हैं और पुराने पैन को हम कचरे में फेंक देते। प्लासिटक से बने यह पैन भी पयार्वरण को दूषित ही करते हैं और हम प्रदूषण फैलाने में कुछ हिस्सेदार तो बन ही जाते हैं। वातावरण दूषित न हो इसके लिए स्वर्ण मनी यूथ वेलफेयर नाम की एक संस्था अखबार से पैन तैयार किए हैं। इस पैन की खासियत है कि जब इसकी स्याही खत्म होगी और इन्हें जहां भी फेंकेंगे वहां पौधे उग आएंगे। यानि कि यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेंगे बल्कि हरा-भरा करेंगे।
स्वर्ण मनी यूथ वेलफेयर संस्था के मुताबिक युवाओं ने अखबार से एक ऐसा पेन तैयार किया है जो खुद से नष्ट हो जाएगा और बहुत कम मात्रा में प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करेगा। यदि उस पैन की रिफिल निकालकर मिट्टी या गमले में फेंकते हैं तो वह पौधे में बदल जाएगा। दरअसल इस पैन में स्याही के साथ एक हिस्से में पौधों के बीज भरे हैं। संस्था के सदस्य रोहित कुमार व प्रदीप कुमार वर्मा ने बताया कि ऐसे पैन बनाने का उनका मकसद कचरे को कम करना है। उन्हें ऐसा पैन बनाने का आइडिया रूस से मिला। साल 2018 में रोहित कुमार वर्ल्ड यूथ फेस्टिवल के तहत रूस गए थे। वहां उन्होंने देखा कि रूस में खुद से नष्ट होने वाले पैन यूज किए जाते हैं।
रोहित ने भारत आकर ठीक वैसा ही पैन बनाने की कोशिश की लेकिन वह असफल रहे, हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार कामयाब हुए। प्रदीप ने बताया कि पान बनाने का तरीका उन्होंने यूट्यूब से सीखा। रोहित ने बताया कि किसी पैन में पालक, गोभी और अन्य सब्जियों और फलों-फूलों के बीज भरे गए हैं। इस पैन की कीनत 5 रुपए है। अगर कोई पेन खरीदना चाहता है तो वह संस्था के फेसबुक पेज पर जाकर संपर्क कर सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 160 से 240 करोड़ प्लास्टिक पैन बाजार में आते हैं। जिससे प्लास्टिक कचरा पैदा होता है और इसका 91 फीसदी प्लास्टिक कचरा रिसाइकल नहीं होता।