भदोही टॉपर गोलमाल: स्कूल ने टॉपर बनाने में किया टॉप वन घोटाला

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हाईलाइट्स-

सीबीएसई 10 वीं परीक्षा में साक्षी सिंह ने किया जिला टॉप,विद्यालय ने तीसरे नंबर पर रहने वाले छात्र को घोषित कर डाला टॉपर।


गोलमाल है भई सब गोलमाल है…! जी हां आखिर, एक ही जिले में कई-कई टॉपर कैसे? क्या सीबीएसई बोर्ड के जारी 10वीं के रिजल्ट में स्कूल अपने हिसाब से टॉपर घोषित कर रहे हैं? बोर्ड ने बच्चों को मानसिक तनाव से बचने के लिए मेरिट लिस्ट जारी नहीं की, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने अपने स्कूल के बच्चों को टॉपर दिखाने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ा डालीं। बच्चों के मानसिक स्थिति पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और यह उनका गोलमाल वाला खेल, शिक्षा के बाजारीकरण को बढ़ावा देने वाला भी है।


 “आज समाचार सेवा”


भदोही, उ.प्र. (का.प्र.)। किसी भी विद्यालय का धर्म होता है कि वे अपने सभी छात्र-छात्राओं के लिए समान भाव रखें और उसकी प्रतिभा के अनुरूप मनोबल बढ़ाएं। किन्तु भदोही के विद्यालय अपने चहेतों को खुश करने के लिए बच्चों का मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं। बोर्ड ने बच्चों को मानसिक तनाव से बचने के लिए मेरिट लिस्ट जारी नहीं की, लेकिन स्कूल प्रबंधन अपने स्कूल के बच्चों को टॉपर दिखाने के लिए नियमों को तोड़ रहे है। इसका विपरीत प्रभाव बच्चों पर पड़ता दिखाई दे रहा है।जानकारी के अनुसार जनपद की रहने वाली साक्षी सिंह ने सीबीएसई बोर्ड की 10वीं में इस बार जिले में सबसे अधिक 483 अंक प्राप्त किये। लेकिन वह दुःखी है क्योंकि उससे 4 अंक कम पाने वाले छात्र को जिला टॉपर घोषित कर दिया गया। जिससे वह मानसिक रूप से परेशान हो गई जिसका प्रभाव उसके पठन पाठन पर पड़ रहा है। भदोही की साक्षी सिंह के साथ जो हुआ पहले उसे भी समझ लेते हैं। साक्षी भदोही की एक पब्लिक स्कूल की छात्रा हैं। उन्होंने जब 15 जुलाई को एसएमएस से अपना रिजल्ट देखा तो उनके 500 में से 483 नंबर आये। उन्हें इग्लिंश में 97 हिंदी में 98 मैथ में 94 साइंस में 94 और सोशल साइंस में 100 और एडिशनल सब्जेक्ट में 94 नंबर मिले। जरूरी पांच विषयों को मिलाकर प्रतिशत निकालेंगे तो साक्षी को कुल 96.6 फीसदी अंक मिले। साथ में पढ़ने वालीं एक छात्रा ने साक्षी को फोन करके बताया कि स्कूल में तुम्हारा नंबर सबसे ज्यादा है और तुम टॉपर हो। लेकिन अगले दिन जब अखबरों में खबर आई तो उसके अनुसार स्कूल सहित सूचना देने वाली छात्रा को जिले का टॉपर घोषित कर दिया गया। कुछ अखबारों में दूसरे स्कूल के एक छात्र को जिला टॉपर बताया गया। जिस छात्रा टापर बताया गया उसको इंग्लिश में 98 हिंदी में 98 मैथ में 97 साइंस में 93 और सोशल साइंस में 95 और एडिशनल सब्जेक्ट में 98 नंबर मिले। कंप्लसरी पांच विषयों को जोड़कर उसको कुल 481 (96.2%) नंबर मिले 500 में से। इसी तरह उक्त छात्र को इंग्लिश में 95 हिंदी में 98 मैथ में 90 साइंस में 96 सोशल साइंस में 100 और एडिशनल सब्जेक्ट में 99 नंबर मिले। कंप्लसरी पांच विषयों को जोड़कर अनुराग को कुल नंबर 479 (95.8%) नंबर मिले। इस हिसाब से देखेंगे तो जिले में साक्षी सिंह के नंबर सबसे ज्यादा आये। लेकिन अखबरों में दूसरी छात्रा तथा एक छात्र को टापर बताया गया। यह कैसे हुआ। इस बारे में पहले उक्त पब्लिक स्कूल के प्रबंधक से बात की। वह कहते हैं हमने बेस्ट फाइव विषयों के नंबर जोड़कर टॉपर घोषित किया। हमने सीबीएसई बोर्ड बेस्ट फाइव नियम को अपनाया। इसके तहत अगर कंप्लसरी पांच विषयों में से किसी भी एक विषय का नंबर एडिशनल सब्जेक्ट से कम है तो उसकी जगह एडिशनल सब्जेक्ट का नंबर जुड़ जाता है। उक्त दूसरी छात्रा और उक्त छात्र के साथ भी ऐसा ही हुआ। जबकि उक्त दूसरी छात्र का साइंस में 93 नंबर था जो कि कंप्लसरी पांच विषयों में सबसे कम था जबकि एडिशनल सब्जेक्ट इनफॉर्मेशन टेक्टनोलॉजी में 98 नंबर हैं। हमने साइंस की जगह इनफॉर्मेशन टेक्टनोलॉजी के नंबर जोड़े। क्या बोर्ड का ऐसा कोई नियम है इसके जवाब में साफ जवाब नहीं दे पाए क्योंकि सीबीएसई की वेबसाइट पर कहीं भी इसका जिक्र नहीं है।उक्त दूसरी छात्रा को जो नंबर मिले उनमें अगर 92 की जगह 98 जोड़ दिये जाएं तो कुल नंबर हो जाएंगे 486 यानी की 97.2 फीसदी। साक्षी से तीन नंबर ज्यादा। उक्त छात्र को भी इसी आधार पर जिला टॉपर घोषित किया गया। उसके कंप्लसरी पांच विषयों में से सबसे कम मैथ में 90 नंबर आये जबकि एडिशनल सब्जेक्ट कंप्यूटर एप्लीकेशन में 98 आये। स्कूल ने 90 नंबर की जगह 98 नंबर जोड़े जिसके बाद उनके कुल नंबर 488 (97.6%) हो गये जो कि साक्षी से 5 और उक्त दूसरी छात्रा से 7 नंबर ज्यादा हैं। साक्षी सिंह के पिता संजय सिंह इस मामले को लेकर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। वे कहते हैं जब बोर्ड ने फोन पर पांच कंप्लसरी विषयों के ही नंबर जोड़कर मैसेज भेजे हैं तो स्कूल एडिशनल सब्जेक्ट के नंबर जोड़कर रिजल्ट कैसे जारी कर सकते हैं। सच तो यह है कि स्कूल प्रबंधन ने अपने चाहने वालों को आगे बढ़ाने के लिए टॉपर घोषित कर दिया। इस पूरे प्रकरण में अखबारों की भूमिका भी संदिग्ध रही है। मान्यता प्राप्त स्कूल के एक टीचर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “परशेंटेज निकालने का नियम पांच जरूरी विषयों को मिलाकर ही निकाला जाता है, लेकिन स्कूल संचालक अपने स्कूल को आगे दिखाने और अपने लोगों को टॉप पर दिखाने के लिए जैसे चाहते हैं वैसे ही नंबर जोड़ देते हैं। न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2019 में सीबीएसई बोर्ड ने एडिशनल सब्जेक्ट के बारे में जानकारी दी है। सात अप्रैल को सीबीएसई बोर्ड से जुड़े सभी स्कूलों के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार 10वीं में अगर कोई छात्र साइंस, मैथ और सोशल साइंस जैसे विषयों में फेल होता है, तब ऐसी स्थिति स्किल विषय (अतिरिक्त छठवां विषय) का नंबर फेल हुए विषय की जगह जोड़ दिया जायेगा। इसके बाद बेस्ट फाइव सब्जेक्ट के आधार पर नंबर जोड़े जाएंगे। जबकि ऊपर खबरों में जिन मामलों का जिक्र है उनमें पांच जरूरी विषयों में बच्चे पास हैं। फिर भी अतिरिक्त विषयों का नंबर जोड़ दिया गया है।इस मामले में सीबीएसई बोर्ड की क्षेत्रीय अधिकारी श्वेता अरोरा प्रयागराज ने बताया इस साल बोर्ड ने मेरिट लिस्ट जारी ही नहीं की है और हमारे यहां बेस्ट फाइव जैसा कोई नियम नहीं है। स्कूलों किस आधार पर टॉपर घोषित कर रहे हैं, यह उनका मामला है। वही दूसरी तरफ यह मामला सोशल मीडिया पर इन दिनों खूब वायरल हो रहा है। जिसको लेकर लोगो में तरह तरह की चर्चा भी बनी हुई है। अब सच्चाई क्या है यह विभागीय जांच का विषय बन गया है। इसके बाद ही सच सामने आ पायेगा।

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Team AJ Bhadohi

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