20 माह की बच्ची ने बचाई 5 लोगों की जिंदगी, यंगेस्ट कैडेवर डोनर बनी

0
148
Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp

नई दिल्ली (एजेंसी)। दिल्ली के रोहिणी इलाके में 8 जनवरी को 20 महीने की धनिष्ठा खेलते समय अपने घर की पहली मंजिल से नीचे गिर गई थी। इसके बाद वह बेहोश हो गई। परिजन उसे तुरंत सर गंगाराम अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने उसे होश में लाने की बहुत कोशिश की लेकिन सब बेकार साबित हुआ।

11 जनवरी को धनिष्ठा को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। दिमाग के अलावा धनिष्ठा के सारे अंग सही से काम कर रहे थे। तब उसके पिता अशीष कुमार और मां बबिता ने उसके अंग दान करने का फैसला किया। धनिष्ठा का दिल, लिवर, दोनों किडनी और कॉर्निया सर गंगाराम अस्पताल ने निकाल कर पांच रोगियों में प्रत्यारोपित कर दिया।

धनिष्ठा ने मरने के बाद भी पांच लोगों अपने अंग देकर उन्हें नया जीवन दे गई। अपने चेहरे की मुस्कान उन पांच लोगों के चेहरे पर छोड़कर चली गई। धनिष्ठा के पिता और माता ने अंगदान को लेकर अस्पताल के अधिकारियों से बात की थी। दुखी होने के बावजूद ये फैसला लेना बेहद कठिन है। 

धनिष्ठा के पिता आशीष ने बताया कि हमने अस्पताल में रहते हुए कई ऐसे मरीज़ देखे जिन्हे अंगों की सख्त आवश्यकता थी। हांलाकि हम अपनी धनिष्ठा को खो चुके थे लेकिन हमने सोचा की अंगदान से उसके अंग न ही सिर्फ मरीज़ों में जिन्दा रहेंगे, बल्कि उनकी जान बचाने में भी मददगार साबित होंगे। 

कैडेवर डोनर उसे कहते हैं जो शरीर के पांच जरूरी अंगों का दान करता है। ये अंग हैं- दिल, लिवर, दोनों किडनी और आंखों की कॉर्निया। कैडेवर डोनर होने के लिए जरूरी है कि मरीज ब्रेन डेड हो। इसके लिए परिजनों की अनुमति चाहिए होती है। आमतौर पर दानदाता और रिसीवर का नाम गोपनीय रखा जाता है लेकिन परिजन चाहे तो दानदाता का नाम उजागर कर सकता है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें