बिहार विधानसभा चुनाव : पहले चरण का चुनाव प्रचार थमा, दांव पर है नीतीश के इन 8 मंत्रियों की साख

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  • पटना, बक्सर, भोजपुर समेत 16 जिलों की 71 सीटों के लिए 1,066 उम्मीदवार मैदान में हैं, इनमें 952 पुरुष और 114 महिलाएं
  • बुधवार को 2 करोड़ 14 लाख 6 हजार 96 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, 17 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 71 सीटों पर 28 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। आज शाम पांच बजे से चुनाव प्रचार थम गया है। पहले चरण में कई सियासी दिग्गजों पर नजरें टिकी हैं, जिनमें नीतीश सरकार के 8 मंत्रियों की साख भी दांव पर लगी है। इनमें चार बीजेपी और चार जेडीयू कोटे के मंत्री है, जिनके विपक्ष विपक्ष ने जबरदस्त घेराबंदी की है तो कई सीटों पर बागी चुनौती बने हुए हैं। ऐसे में पहले नीतीश के मंत्रियों वाली सीटों का काफी रोचक मुकाबला होता नजर आ रहा है। 

बिहार के नीतीश सरकार के जिन आठ मंत्रियों की साख दांव पर है, उनमें गया से कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार, जहानाबाद से शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा, जमालपुर से ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, दिनारा से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जय कुमार सिंह, राजापुर से परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला, बांका से राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल, लखीसराय से श्रम मंत्री विजय कुमार सिन्हा और चैनपुर से अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री बृजकिशोर बिंद हैं। 

दिनारा: बागी ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला

एनडीए सीट शेयरिंग में दिनारा विधानसभा सीट जेडीयू के खाते में गई है, जिसके चलते नीतीश कुमार ने अपने मौजूदा विधायक जय सिंह पर भरोसा जताया है जबकि आरजेडी से विजय मंडल यहां से प्रत्याशी हैं। बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष और संघ प्रचारक रहे राजेंद्र सिंह ने एलजेपी से टिकट लेकर यहां के चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू-आरजेडी साथ थे, लेकिन जय सिंह को यहां से जीतने में पसीने छूट गए थे। जेडीयू के जय कुमार सिंह महज 2691 मतों से जीते थे। अब राजेंद्र सिंह एलजेपी से मैदान में हैं, जिसके चलते जेडीयू का राजनीतिक समीकरण गड़बड़ाता दिख रहा और मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। ऐसे में इस सीट पर अगर बीजेपी के कैडर वोट को थोड़ा बहुत भी साधने में कामयाब रहे तो जेडीयू के लिए हैट्रिक लगाना आसान नहीं होगा। 

गया सीट: बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती

गया टाउन विधानसभा सीट पर काफी रोचक मुकाबला होता नजर आ रहा है। बीजेपी के कद्दावर नेता और बिहार सरकार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार मैदान में हैं, जिनके खिलाफ कांग्रेस के अखौरी ओंकार नाथ मैदान में है। इसके अलावा आरएलएसपी से रणधीर कुमार और पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी से निखिल कुमार हैं। सात बार के विधायक प्रेम कुमार का गया टाउन मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार उनके सामने महागठबंधन के अखौरी ओंकार नाथ एक बड़ी चुनौती बन गए। हालांकि, 2015 के चुनाव में प्रेम सिंह ने कांग्रेस-आरजेडी-जेडीयू के साथ होने बावजूद करीब 22 हजार मतों से जीत दर्ज की थी। 

बांका सीट: बीजेपी बनाम आरजेडी

बांका विधानसभा सीट पर नीतीश सरकार में भूमि सुधार राजस्व मंत्री और बीजेपी नेता रामनारायण मंडल मैदान में हैं। वहीं, आरजेडी से पूर्व विधायक जावेद इकबाल अंसारी और आरएलएसपी के कौशल सिंह उतरने से मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। हालांकि, बांका सीट की सियासी जंग पिछले तीन दशक से जावेद अंसारी और रामनायरण मंडल के बीच होती आ रही है और एक बार फिर दोनों आमने-सामने हैं। जावेद अंसारी यादव और मुस्लिम समीकरण के जरिए बीजेपी से छीनना चाहते हैं तो रामनारायण मोदी और नीतीश के सहारे एक बार फिर जीत दर्ज करने में जुटे हैं। 

लखीसराय: बीजेपी-आरजेडी की सीधी जंग

बिहार के पहले चरण की लखीसराय सीट पर बीजेपी विधायक और नीतीश सरकार के श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा एक बार फिर मैदान में है, जिनके खिलाफ महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के अमरीश कुमार अनीश किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, बसपा की तरफ से राजीव कुमार धानुक मैदान में उतरकर मुकाबले को चुनौती पूर्ण बना दिया है। 

हालांकि लखीसराय सीट से बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा दो बार जीतकर विधानसभा पहुंच चुकी हैं और इस हैट्रिक लगाने के मकसद से चुनाव में हैं। जातीय समीकरण की अगर बात करें तो करीब 10 प्रतिशत यादव मतदाता जिसको एक साथ वोट कर देते हैं, उसका विधायक बनना लगभग तय माना जाता है, यादव के अलावा पासवान, कुर्मी और मुस्लिम की संख्या भी अच्छी खासी है, जिनके सहारे कांग्रेस यहां से जीत दर्ज करने की कवायद में है। 

चैनपुर सीट पर बीजेपी की राह में बसपा चुनौती

चैनपुर विधानसभा सीट से बिहार के खनन मंत्री और बीजेपी विधायक बृज किशोर बिंद की साख दांव पर लगी है। बृज किशोर बिंद के खिलाफ कांग्रेस के प्रत्याशी प्रकाश कुमार सिंह को मैदान में है। बसपा ने अपने पुराने उम्मीदवार मोहम्मद जमा खान जबकि जाप ने दिवान अरशद हुसैन पर दांव लगाया है। 2015 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने बृज किशोर के कड़ी चुनौती पेश की थी और महज 671 वोटों से जीत दर्ज कर सके थे। ऐसे में इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। इस सीट पर बसपा एक अहम फैक्टर माना जा रहा है। 

जहानाबाद: आरजेडी के दुर्ग में नीतीश के मंत्री

जहानाबाद विधानसभा सीट हाई प्रोफाइल मानी जाती है। यहां से नीतीश सरकार शिक्षा मंत्री और जेडीयू नेता कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा चुनावी मैदान में उतरे हैं। वर्मा 2015 में महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में घोसी से चुनाव मैदान थे और जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे। हालांकि, इस बार उन्होंने सीट बदल दी है और जहानाबाद से मैदान में है, जिनके खिलाफ आरजेडी से कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव किस्मत आजमा रहे हैं। 2015 में जहानाबाद से सुदय यादव के पिता मुद्रिका सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी, लेकिन डेंगू के चलते उनका निधन हो गया है। इसके बाद सुदय यादव यहां से उपचुनाव में विधायक चुने गए हैं। कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा की राह में सबसे बड़ी बाधा एलजेपी प्रत्याशी इंदु देवी कश्यप बनी हुई है। ऐसे में यहां की सियासी लड़ाई काफी कांटे की मानी जा रही है। 

जमालपुर सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई

जमालपुर विधानसभा सीट पर बिहार सरकार मंत्री और जेडीयू नेता ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार मैदान में हैं। इस बार महागठबंधन से यहां कांग्रेस के डॉ अजय कुमार सिंह हैं। एलजेपी से दुर्गेश कुमार सिंह के उतरने से जमालपुर में त्रिकोणीय लड़ाई बन गई है। शैलेश कुमार 2015 और 2010 का विधानसभा चुनाव एलजेपी को को हरा कर जीते हैं। हालांकि, यहां से तीन बार से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं। शैलेष के सामने लगातार चौथी बार सीट निकालने की चुनौती होगी तो उनके विरोधी सीट जीतने में कोई कमी कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे। 

राजपुर सीट पर जेडीयू बनाम एलजेपी

बक्सर जिले की राजपुर विधानसभा (सुरक्षित) सीट से नीतीश सरकार के परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला मैदान में है। जेडीयू नेता संतोष कुमार निराला लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं। 2010 में एलजेपी के छेदी लाल राम और 2015 में बीजेपी के विश्वनाथ राम को हराया था। हालांकि, इस बार विश्वनाथ राम कांग्रेस के टिकट पर हैं तो एलजेपी के निर्भय कुमार निराला ने उतरकर राजपुर सीट का मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।

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