नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय सेना के सभी टॉप कमांडरों की कॉन्फ्रेंस सोमवार से दिल्ली में शुरू होगी। चार दिन तक चलने वाली ये बैठक चीन के साथ तनाव शुरू होने के बाद होने वाली सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक है। इस बैठक में उप-सेनाध्यक्ष, सभी सेना कमांडर, सभी प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर्स के अलावा दूसरे कई सीनियर अफसर मौजूद रहेंगे।
26 तारीख से शुरू होने वाली सेना की इस कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को तीनों सेनाध्यक्ष, सीडीएस जनरल बिपिन रावत के अलावा रक्षामंत्री भी संबोधित करेंगे। आपको बता दें कि साल में दो बार होने वाली इस कॉन्फ्रेंस में लंबी चर्चाओं के बाद सेना की सभी मुख्य रणनीतियों बनाई जाती हैं। चीन के साथ पिछले 5 महीने से ज्यादा समय से चल रहे सबसे गंभीर तनाव के बाद ये कॉन्फ्रेंस बहुत महत्वपूर्ण है।
कॉन्फ्रेंस के पहले दिन पूरे दिन सेना में सैनिकों से जुड़े हुए मुद्दों पर विचार किया जाएगा। इसी दौरान नियंत्रण रेखा पर तैनात 50 हजार सैनिकों के बारे में विस्तार से चर्चा की जाएगी। 27 तारीख को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सभी कमांडर्स को संबोधित करेंगे। वहीं 28 तारीख को सेना अलग-अलग सेना कमांडरों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी।
जबकि 29 तारीख का दिन बहुत महत्वपूर्ण है जब सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के हर पहलू पर बारीकी से चर्चा की जाएगी और उसकी समीक्षा होगी। इस दिन बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर जनरल सीमा पर चल रहे अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के बारे में रिपोर्ट देंगे।
दरसअल, बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन बहुत तेजी से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में लगा हुआ है। चीन के साथ मौजूदा तनाव की जड़ भारत द्वारा एलएसी पर किया जाने वाला इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम है। लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत सड़कें, पुल और पहाड़ों के नीचे सुरंगों का निर्माण कर रहा है।
इसी महीने मनाली से लेह के रास्ते पर रोहतांग पास के नीचे अटल टनल को आवागमन के लिए खोला गया है। श्रीनगर से लेह के रास्ते पर जो जिला पास के नीचे से एक और रणनैतिक महत्व की टनल का काम भी इसी महीने शुरू हो गया है। इसके अलावा लद्दाख में कई रणनैतिक महत्व की सड़कें या तो बनाई जा रही हैं या उनकी क्षमता को बढ़ाया जा रहा है।