बिहारशरीफ (आससे)। विश्व धरोहर सप्ताह के अंतिम दिन डीआईजी विकास वैभव बुधवार को प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेषों का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि धरोहर वर्तमान में अच्छा करने के लिए प्रेरणा देने के साथ ही हमें अतीत से भी जोड़ती है। इन अवशेषों ने हमें बचपन में ही प्रेरित किया था।
उन्होंने कहा कि नालंदा की यह मेरी तीसरी यात्रा है। पहली बार वर्ष 1993 में आने का अवसर मिला था। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण समारोह का आयोजन नहीं हुआ। विश्व सप्ताह दिवस 19 नवंबर से ही मनाया जा रहा है। आज अंतिम दिन है। आकर मैं काफी खुश हूं। विश्व धरोहर की सूची में शामिल करके यूनेस्को ने नालंदा का मान बढ़ाया है। संग्रहालय के सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् शंकर शर्मा से डीआईजी ने प्राचीन नालंदा के इतिहास को विस्तार से जाना।
शंकर शर्मा ने कहा कि विश्व सप्ताह के अवसर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा छात्रों को जागरूक करने के लिए ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहरों के विषय पर परिचर्चा की जाती थी। लेकिन, गृह मंत्रलय के आदेश पर कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा सका। धरोहर में आने वाले पर्यटकों को सामाजिक दूरी का ख्याल रखने की हिदायत दी जाती है। बिना मास्क लगाये प्रवेश पर रोक है। विश्व धरोहर में शामिल होने के बाद इस परिसर को उसके अनुरूप सजाया गया है। मौके पर रघुवंश प्रसाद, खंडहर के कर्मचारी व अन्य लोग मौजूद थे।