बेगूसराय। बिहार चुनाव में इस बार भी कई ऐसे प्रत्याशी हैं जो स्पॉटलाइट से दूर अकेले ही अपना झंडा लेकर निकल पड़े हैं। ऐसे ही एक प्रत्याशी बेगूसराय जिले में अपनी साइकिल पर दो झंडे के साथ अकेले ही नजर आते हैं। इनके साथ न समर्थकों की भीड़ है ना ही कोई सुरक्षा। न गाड़ियों का काफिला है। इनको राजनीति में नया समझना भी भूल होगी क्योंकि ये अपना राजनीतिक अनुभव 30 साल बताते हैं। फिर भी इन्हें चुनाव में जीत की कोई आस नहीं है।
बेगूसराय के तेघड़ा सीट से प्रत्याशी केदारनाथ भास्कर शोषित समाज दल के टिकट से चुनाव मैदान में हैं। रोज ही केदारनाथ अपनी साइकिल पर स्वनिर्मित झंडे को लेकर निकल पड़ते हैं। चुनाव प्रचार के लिए कई-कई किलोमीटर की यात्रा करते हैं। वह कहते हैं पिछले 30 साल से राजनीति में हूं।
उन्होंने बताया कि प्रधानी से लेकर जिला परिषद का चुनाव लड़ चुका हूं। हालांकि विधानसभा चुनाव में पहली बार भाग ले रहा हूं। मेरा चुनाव चिह्न आरी है जो लकड़ी से बनी तमाम चीजों के निर्माण में काम आती है। ऐसे ही मैं भी समाज में निर्माण के पक्ष में रहता हूं।
केदारनाथ का खुद का एक भास्कर मॉडल है जिसे वह समाज तक पहुंचाना चाहते हैं। इस मॉडल में सूर्य ही सर्वोपरि है। कहते हैं कि जैसे शिवचर्चा होती है वैसे ही मैं जगचर्चा करता हूं। चुनाव से फुर्सत मिली तो जगचर्चा को गांव-गांव तक पहुंचाऊंगा। मैं चाहता हूं कि समाज के हर व्यक्ति तक वैज्ञानिक चेतना का संचार हो। इसके लिए मैं हमेशा काम करता रहूंगा। चाहे चुनाव रहे या नहीं रहे।
केदारनाथ अपनी धुन के इतने पक्के हैं कि इन्होंने अपने लक्ष्य के लिए आज तक शादी नहीं की। घर भी त्याग रखा है। इन्होंने अपने प्रचार का झंडा खुद तैयार किया है जो दो रंगों में हैं। लाल और काला। इसमें झंडे का 10 प्रतिशत हिस्सा लाल रंग में प्रकाशित है जो समाज का प्रतीक है और 90 प्रतिशत हिस्सा काले रंग का है जो अंधकार में रह रहे समाज का प्रतीक है। केदारनाथ कहते हैं कि अधंकार में रह रहे इसी 90 प्रतिशत समाज को प्रकाश में लाना मेरा उद्देश्य है।