संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण घोर गरीबी में रहने वाले लोगों में 15 से 17.5 करोड़ का इजाफा होगा. अत्यधिक गरीबी मानवाधिकारों मामलों के विशेष दूत ओलिवियर डी शटर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण 15 से 17.5 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी की चपेट में आएंगे. शटर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति (सामाजिक, मानवीय सांस्कृतिक) को बुधवार को इसके बारे में जानकारी दी.
ज्यादातर महिलाएं घोर गरीबी की चपेट में आएंगी
समिति के प्रतिनिधियों ने अपने कई संवाद में दुनिया की सबसे कमजोर वर्ग की दुर्दशा को लेकर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हमें अपने विकास मॉडल पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कहा कि जो लोग घोर गरीबी की चपेट में आएंगे उनमें से अधिकतर अनौपचारिक क्षेत्र में या अनिश्चित रोजगार की स्थिति में काम करने वाले श्रमिक होंगे. उनमें से अधिकतर महिलाएं होंगी. उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधार को आकार देने के लिए पर्यावरणीय स्थिरता सामाजिक न्याय को पूर्वशर्त माना जाना चाहिए.
शटर समिति के प्रतिनिधियों के साथ वर्चुअल संवादों में भाग लेने वाले पांच स्वतंत्र विशेषज्ञों में से एक थे. चर्चा में घोर गरीबी आंतरिक विस्थापन से लेकर शिक्षा, मानवाधिकारों, सुरक्षित पेयजल पर्याप्त आवास जैसे विषयों को शामिल किया गया था. विशेषज्ञों ने संघर्ष जलवायु परिवर्तन के बीच परस्पर संबंध का जिक्र किया. उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की कि छात्रों को महामारी के दौरान स्कूल में स्वच्छ पानी अन्य स्वच्छता सुविधाएं मिल सकें.