मेरठ। ऐतिहासिक नौचंदी मैदान में स्थित प्राचीन नवचंडी देवी मंदिर अपने भीतर इतिहास समेटे हुए हैं। नवचंडी मंदिर के नाम पर ही मेरठ में नौचंदी मेले का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर में दशानन रावण की पत्नी मंदोदरी पूजा करने के लिए आती थी। दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं।
नौचंदी मैदान में स्थित नवचंडी देवी मंदिर की अपार महत्ता है। यहां पर नवरात्रों के अलावा भी हजारों श्रद्धालु देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारी पंडित महेंद्र शर्मा का कहना है कि यह मंदिर बहुत प्राचीन है।
इस मंदिर में लंकेश्वर रावण की पत्नी मंदोदरी पूजा करने के लिए आती थी। बताया जाता है कि तैमूर के मेरठ पर आक्रमण के समय एक हिन्दू कन्या ने आक्रांताओं पर हमला कर दिया था और हिन्दुओं की रक्षा के लिए लड़ते-लड़ते इस मंदिर परिसर में वीरगति को प्राप्त हुई थी।
नवचंडी से पड़ गया नौचंदी नाम
समय बीतते-बीतते नवचंडी देवी मंदिर का नाम पर ही विशाल मैदान का नाम नौचंदी पड़ गया। इसी के नाम पर मेरठ से प्रयागराज के लिए नौचंदी एक्सप्रेस ट्रेन का भी संचालन किया जाता है।
नौचंदी मेले में बदल गया नवरात्र मेला
इतिहासकार डाॅ. कृष्णकांत शर्मा ने बताया कि नवचंडी मंदिर पर प्राचीन काल में नौ दिन का नवरात्र मेले का आयोजन किया जाता था। धीरे-धीरे मेले की अवधि बढ़ती चली गई और एक यह मेला एक महीने तक आयोजित किया जाने लगा और इसका नाम भी नौचंदी मेला पड़ गया और यह पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध हो गया। इस मेले में प्रत्येक वर्ष लाखों लोग जुटते हैं।
मंदिर में आने से पूरी होती हैं हर मनोकामना
नवचंडी मंदिर की लोगों में बहुत मान्यता है। माता के दरबार से कोई श्रद्धालु खाली हाथ नहीं जाता है। मंदिर में सच्चे मन से आने वाली की प्रत्येक मनोकामना पूरी होती है। नवरात्र में मंदिर में आने वालों का तांता लगा रहता है।
देवी के नौ रूपों का प्रतीक है नवचंडी
नवचंडी मंदिर देवी के नौ रूपों का प्रतीक है। चंडी दुर्गा माता को कहा जाता है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि प्रत्येक वर्ष नवरात्र में यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। चैत्र नवरात्र में मोरीपाड़ा स्थित मंदिर से मेरठ धर्मसंघ के तत्वावधान में मंदिर में छत्र चढ़ाया जाता है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते हैं।