मुंबई (एजेंसी)। सभी आशंकाओं को दरकिनार करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने रेपो रेट को 4 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला लिया है। दास ने बताया कि एमपीसी ने यह फैसला एकमत से लिया है। इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट 4.25 फीसदी और बैंक रेट 4.25 पर बरकरार रखा गया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मई और जून में अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेत दिख रहे हैं। शक्तिकांत दास ने बताया कि सभी सदस्य नीतिगत दरों में बदलाव के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने कहा कि बेहतर मानसून के चलते एग्री सेक्टर में ग्रोथ की उम्मीद है। कमजोर घरेलू मांग के कारण आयात में गिरावट रही है। वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में महंगाई घटने की आशंका है।
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण वैश्विक आर्थिक गतिविधियां नाजुक बनी हुई हैं। आर्थिक गतिविधियों में सुधार होना शुरू हो गया था, लेकिन संक्रमण के कारण लॉकडाउन लगने से गतिविधियों में ब्रेक लगा है। सप्लाई चेन बाधित है। सभी सेगमेंट में महंगाई स्पष्ट दिख रही है। खाने-पीने की महंगाई बढऩे की आशंका बरकरार है। नाबार्ड और नेशनल हाउसिंग बैंक को 10 हजार करोड़ रुपए की विशेष अतिरिक्त लिक्विडिटी की फैसिलिटी है। हाल में किए गए कटौती के प्रयासों से अर्थव्यवस्था को सहारा है।
शर्तों में ढील के कारण कटौती का ज्यादा फायदा मिला। पर्याप्त लिक्विडिटी से म्यूचुअल फंड को भी फायदा मिला। तनावग्रस्त एमएसएमई को 31 मार्च 2021 तक लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम का फायदा मिलेगा। कुछ लोन के रिस्ट्रक्चरिंग के लिए स्पेशल विंडो मुहैया करायी जायेगी। जून 2019 के नियमों के तहत लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ऋणात्मक रहने का अनुमान है।
मार्च 2021 में समाप्त होने वाले इस वित्त वर्ष में भी जीडीपी ऋणात्मक रहने की संभावना है। 31 मार्च 2021 तक गोल्ड देने वाली बैंक 90 फीसदी तक का लोन दे सकते हैं। अभी तक यह सीमा 75 फीसदी थी। इसे लोन टू वैल्यू (एलटीवी) कहा जाता है। एमपीसी की अगली बैठक अब 29 सितंबर को शुरू होगी।