भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण

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पौधरोपण करते तहसीलदार सदर

ज्ञानपुर। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में पौराणिक काल से ही पर्यावरण की स्वच्छता एवं संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है। ऋषि मुनियों की पूरी दिन चर्या प्रकृति पर निर्भर थी प्राचीन काल में किसी भी प्रकार का असंतुलन नहीं था।  तहसील परिसर में तहसीलदार  देवेन्द्र कुमार यादव पौधरोपण के पश्चात कही। वृक्षारोपण कर ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से सम्पूर्ण विश्व को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है कहा कि आखिर विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की जरूरत क्यों पड़ी विचारणीय प्रश्न ये है ज़रूरत है तो पर्यावरण संरक्षण की, उसके देखभाल की।यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है राष्ट्रहित सर्वोपरि है और राष्ट्रहित में हम सब को मिलकर यह दायित्व निभाना पड़ेगा। तहसीलदार ने कहा कि पौधरोपण करना मेरी आदत हो चुकी है हम पर्यावरण दिवस मनाने के बजाय हर रोज एक न एक पौधरोपण करते रहते हैं उन्होंने कहा कि अब तक छायादार फलदार के 5000 से अधिक पौधरोपण किया जा चुका है कहा कि यह अभियान मेरे जीवनकाल के लिए अहम हिस्सा बन चुका है उन्होंने कहा कि हर आदमी को चाहिए कि कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाएं यह अपनों के साथ दूसरों को भी ऑक्सीजन देकर जीवन देने का काम करते हैं यह भी कहा कि पौधरोपण के पश्चात उसकी देखभाल करना अहम जिम्मेदारी होती है

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