कचरा प्रबंधन: आसान कदम और दैनिक आदतें

हर दिन हमें कचरा बनता है, लेकिन अगर हम सही तरीके से निपटें तो पर्यावरण बच सकता है। हम अक्सर सोचते हैं कि यह काम सरकार का है, पर असली बदलाव हमारे छोटे-छोटे चुनावों से शुरू होता है। इस लेख में मैं आपको बताऊँगा कि घर में, स्कूल में और पड़ोस में कचरा कैसे कम करें और सही तरीके से निपटाएँ।

घर में कचरा कम करने के सरल तरीके

सबसे पहले बर्तनों की बात करें – प्लास्टिक के थैले, बोतल और रैप को जितना हो सके टालें। बाजार से जब सब्ज़ी खरीदें तो खुद की कपड़े की थैली लेकर जाएँ; ये न सिर्फ कचरा घटाता है बल्कि पैसे भी बचाता है। फिर रीसाइक्लिंग पर ध्यान दें: पेपर, कार्डबोर्ड, कांच और एल्युमिनियम को अलग-अलग डिब्बों में रखें। दो‑तीन दिन में आप देखेंगे कि कब तक इनका बोझ कम हो गया है।

भोजन बनाते समय भी कचरा घटाया जा सकता है। सब्ज़ियों के बचे हिस्से को फिर से इस्तेमाल करें या कम्बुचा, हरी चटनी में पाउडर बनाकर फ्रीज में रखें। कपड़े के टुकड़ों को पुरानी तौलिया या रेसिपी बॉक्स में पुनः उपयोग किया जा सकता है। ये छोटे‑छोटे कदम आपके किचन को साफ‑सुथरा और कचरा‑मुक्त बनाते हैं।

शहर स्तर पर कचरा निपटान की नई पहल

शहर में कचरा कैसे संभालते हैं, यह भी हमारे जीवन को प्रभावित करता है। कई नगरपालिकाएँ अब डिजिटल बिन, सेंसर‑आधारित कचरा ट्रक और बायो‑डिग्रेडेबल पॉलिसी लागू कर रही हैं। अगर आपके इलाके में ऐसी सुविधा है, तो उसे इस्तेमाल करें और कचरे को अलग‑अलग डालें – जैविक, गैर‑जैविक, और हानिकारक पदार्थ।

समुदाय स्तर पर भी आप भूमिका निभा सकते हैं। पड़ोस में कचरा क्लीन‑अप ड्राइव आयोजित करें, स्कूलों में रीसाइक्लिंग क्लासेज़ करवाएँ या स्थानीय कलीक्शन सेंटर के साथ साझेदारी बनाएँ। जब लोगों को दिखेगा कि कचरा कम करने से साफ हवा और स्वच्छ सड़कें मिलती हैं, तो सहयोग बढ़ेगा।

सरकारी नीतियों को समझना भी जरूरी है। भारत में स्वच्छ भारत मिशन, प्लास्टिक प्रतिबंध अधिनियम और योजना‑योजनाएँ कचरा कम करने के लिए बनाई गई हैं। इनका फायदा उठाने के लिए आप सीधे अपने नगर निगम की वेबसाइट पर जा सकते हैं, ऑनलाइन शिकायत या सुझाव दे सकते हैं। यह छोटे‑छोटे कदम पूरे देश को कचरा‑मुक्त बनाने में मदद करते हैं।

एक आखरी बात – कचरे को सही समय पर निपटाना भी महत्वपूर्ण है। घर में जैविक कचरे को कंपोस्टर में डालें; दो‑तीन हफ़्ते में वही कचरा मिट्टी में बदल जाएगा और बगीचे की मिट्टी के लिये उपयोगी हो जाएगा। गैर‑जैविक कचरा, जैसे प्लास्टिक और धातु, को रिसाइकलिंग सेंटर्स में जमा करें। यह न केवल लैंडफिल पर दबाव कम करता है, बल्कि नई सामग्री बनाती है।

तो अब सवाल ये है – आप आज से कौन से एक या दो कदम उठाएँगे? छोटे बदलावों से ही बड़ा फर्क पड़ता है। कचरा कम करो, रीसाइक्लिंग अपनाओ और अपने शहर को स्वच्छ बनाओ। यह आपका व्यक्तिगत योगदान है, लेकिन इसका असर पूरे देश पर पड़ेगा।

क्यों भारतीय समाचार चैनल पूरी तरह से कचरा है?

क्यों भारतीय समाचार चैनल पूरी तरह से कचरा है?

भारतीय समाचार चैनलों की स्थिति आज बहुत खराब है। गैरकानूनी प्रेस अधिकारों और अधिकारी द्वारा आजादी को आत्मसम्मान के साथ निभाई जाती है। आज के समय में, समाचार चैनलों को अधिकारों द्वारा काबू किया जाता है और वे अनुच्छेद 19 के तहत आजादी का उपयोग नहीं कर सकते हैं। अतः, भारतीय समाचार चैनल पूरी तरह से कचरा होने के कारण हैं।
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