हिन्दू कैलेंडर – क्या है, क्यों जरूरी है और कैसे पढ़ें

हिन्दू कैलेंडर यानी पंचांग, हमारे दैनिक जीवन का एक अहम हिस्सा है। यह केवल त्योहारों की तिथियों को नहीं बताता, बल्कि दिन‑रात, नक्षत्र, योग, करन और ग्रहों की चाल भी दिखाता है। अगर आप नए हैं तो आज हम इसे आसान भाषा में समझेंगे, ताकि आप बिना किसी गड़बड़ी के अपनी शादी, वैवाहिक मुहूर्त या साधारण कार्यों के लिये सही समय चुन सकें।

हिन्दू कैलेंडर की मूल बातें

हिन्दू कैलेंडर सौर और चन्द्र दोनों चक्रों पर आधारित है। एक साल में 12 चन्द्र महीने होते हैं, और हर महीने का पहला दिन आमतौर पर अमावस्या या पूर्णिमा से शुरू होता है। इसके साथ ही सूर्य का लग्न भी मिलाकर सौर साल बनाया जाता है, जिससे हम ग्रेगोरियन कैलेंडर (इंटरनैशनल कैलेंडर) के साथ तालमेल रख पाते हैं। इस प्रणाली में तिथियों को श्लोक, तिथि, नक्षत्र और योग के रूप में लिखा जाता है।

सप्ताह का पहला दिन रविवार माना जाता है, पर हिन्दू कैलेंडर में सोमवार को विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि वह चंद्रमा के दिन होता है। प्रत्येक दिन का अपना नक्षत्र (ज्योतिषीय सितारा) होता है जैसे कि मिथुन, कर्क आदि, और इन्हें पढ़कर शुभ या अशुभ कार्य तय किए जाते हैं।

कैसे देखें आज की तिथि और नक्षत्र

आज की तिथि जानने के लिये आप मोबाइल ऐप, वेबसाइट या प्रिंटेड पंचांग का उपयोग कर सकते हैं। सबसे पहले दिन, मास (महीना) और वर्ष को पहचानें। फिर तिथि (उदाहरण‑हिंदी में 15) और नक्षत्र (जैसे‑अश्विनी) देखें। यदि आप त्योहार या शुभ कार्य की योजना बना रहे हैं तो विशेष करन (जैसे‑वृषभ) और योग (जैसे‑विराट) भी देखें। ये जानकारी आपको यह बताती है कि वह दिन आपके कार्य के लिये अनुकूल है या नहीं।

अगर आप किसी विशेष ज्योतिषीय सलाह चाहते हैं तो पंचांग में ‘तिथि‑भज्य’ (उपवास) और ‘व्रत‑तिथि’ की भी जाँच करें। कई बार पंचांग में यह भी दिया जाता है कि कौन‑सी राशि के लोग उस दिन अधिक भाग्यशाली रहते हैं। इससे आप अपने या अपने परिवार के लिये सही निर्णय ले सकते हैं।

हिन्दू कैलेंडर को समझना इतना मुश्किल नहीं है—बस दो‑तीन चीजें याद रखें: महीना, तिथि, नक्षत्र। इन को मिलाकर आप हर दिन का महत्व समझ सकेंगे। चाहे वह शादी का मुहूर्त हो, नया व्यापार शुरू करना हो या सिर्फ घर में पूजा‑पाठ करना हो, पंचांग आपका भरोसेमंद मार्गदर्शक बनता है।

यदि आप अपने आसपास के मंदिर या धार्मिक संस्थान में उपलब्ध पंचांग देखना चाहते हैं, तो अक्सर वे साल का मैगज़ीन या पोस्टर देते हैं। ऑनलाइन विकल्पों में आप “हिन्दू कैलेंडर 2025” जैसे शब्द को सर्च करके तुरंत टेबल या कैलेंडर देख सकते हैं।

समय के साथ पंचांग में छोटे‑छोटे बदलाव आते हैं—ज्योतिषी विद्वानों द्वारा नए करन या योग की गणना की जाती है। इसलिए हर साल का पंचांग अलग हो सकता है, पर मूल सिद्धांत वही रहते हैं। अपने दैनिक जीवन में इसे नियमित रूप से देखना आपको समय‑सुरक्षा और आत्मविश्वास देता है।

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